आगरा के सामवेदी ब्राह्मण परिवार में जन्मी सुप्रसिद्ध अन्तरराष्ट्रीय कवयित्री,साहित्यकार, समाजसेवी, प्रोफ़ेसर डाॅ.शशि तिवारी को काव्य और संगीत विरासत में मिला। उनकी शिक्षा-दीक्षा प्रारम्भ से लेकर एम.ए., पी-एच.डी., डी.लिट्. (संस्कृत) तक आगरा में ही हुई।
शिक्षा और प्रारंभिक जीवन
प्रो.(डाॅ.) शशि ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा एम.वी. गर्ल्स स्कूल एवं आर.ऐस.ऐस. गर्ल्स काॅलेज , आगरा
से प्राप्त की। इसके बाद उन्होंने आगरा कॉलेज/आगरा विश्वविद्यालय से संस्कृत विषय में स्नातक , स्नातकोत्तर, पी-एच.डी. एवं डी.लिट्. की डिग्रियाँ प्राप्त कर , प्रत्येक परीक्षा में प्रथम स्थान एवं विशेषज्ञता हासिल की। शिक्षा के दौरान ही उनके मन में समाज के प्रति सेवा भावना विकसित हुई। वह एक शिक्षाविद् के साथ-साथ एक समाजसेवी के रूप में भी जानी गईं।उन्होंने अपने अध्ययन के दौरान संस्कृत, हिन्दी, संगीत विषयक कई प्रतियोगिताओं में भाग लिया और पुरस्कार भी जीते।
विश्व हिंदी दिवस के पावन अवसर पर नेपाल में आयोजित तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में प्रो.(डाॅ.) शशि तिवारी को हिंदी भाषा और साहित्य में उनके अभूतपूर्व योगदान के लिए नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री, उप-प्रधानमंत्री एवं नेपाल में भारत के राजदूत द्वारा विशेष रूप से सम्मानित किया गया। ब्राइट मोनोरेल ऑर्गेनाइज़ेशन, काठमांडू (नेपाल) द्वारा भी उनको सम्मानित किया गया। (विश्व हिन्दी दिवस 2020)। ये सम्मान न केवल उनके बहुमूल्य कार्यों की प्रशंसा है, बल्कि हिंदी भाषा के प्रति उनकी निष्ठा और समर्पण का प्रतीक भी है।
प्रो.(डाॅ.) शशि ने अपने उत्कृष्ट कार्य और समर्पण के लिए कई प्रतिष्ठित पुरस्कार और सम्मान प्राप्त किए हैं। उनके योगदान को समाज ने सराहा है और ये पुरस्कार उनके अद्वितीय प्रयासों की पहचान हैं।