” देशभक्ति गीत
“वसुधैव कुटुम्बकम्”
प्रो.(डॉ.)शशि तिवारी
हम अमन के हैं पुजारी
है धरा सारी हमारी
आर्य हैं हम श्रेष्ठ हैं हम,
हम किसी से भी न कम।
वसुधैव कुटुम्बकम्।।
वेद की ध्वनियाँ उतारें सभ्यता की आरती
विश्व में सर्वोच्च हम
गूँजे अमर यह भारती
हम धरा की हैं धरोहर
हमसे है दुनियाँ का दम।
वसुधैव कुटुम्बकम्।।
सुलहकुल के पक्षधर हम
प्रेम बानी बोलते
ताज के साये में हम
अपने दिलों को तोलते
दिल हमारा बोलता
सत्यम् शिवम् औ’ सुन्दरम्।
वसुधैव कुटुम्बकम्।।
हम सभी के हैं हमारे सब यही हम मानते
सोच लें जो वो करें
मन में सदा ये ठानते
शान्ति का संदेश दें जब भी धरा पर लें जनम।
वसुधैव कुटुम्बकम्।।
प्रो.(डॉ.)शशि तिवारी