Dr Sashi Tiwary

इंसान

Dr Sashi Tiwary

“इंसान”

अब कैसे इंसान हो गये,
कुछ उनमें भगवान हो गये।

औरों की क्या बात कीजिए,
अपने बेईमान हो गये।

कैसे हल हो सोच सोच कर,
मुश्क़िल से अनजान हो गए।

कश्ती से अनबन बहाव की,
हावी सब तूफ़ान हो गए ।

दिल है ख़ाली रीत रीत कर,
लुटते से अरमान हो गए ।

कैसे सुन्दर ख़्वाब देख लें ,
नैन निपट वीरान हो गए।

डाॅ. शशि तिवारी

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